1.भौगोलिक संकेत वाले उत्पादों के लिए स्वैच्छिक प्रमाणन योजना:
भौगोलिक संकेत (जिओग्रफ़िकल इंडिकेशन, जीआई) सामग्री देश की हमारी सामूहिक और बौद्धिक विरासत का हिस्सा है, जिसे संरक्षित रखने और बढ़ावा देने की आवश्यकता है। पीएडीडी ने उद्योग संवर्धन और आतंरिक व्यापार विभाग (डीआईपीपी), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार को प्रयोग (पायलट) के रूप में 15 जीआई उत्पादों की संपूर्ण योजना दस्तावेज प्रस्तुत किया था। जिससे जीआई उत्पादों को बढ़ावा मिल सके, जो या तो कृषि-वस्तु या निर्मित वस्तुएं हैं |
शामिल किए गए कुछ जीआई वस्तुएँ निम्नवत हैं : नासिक अंगूर, नागपुर संतरे, बंगाली रशोगुल्ला, कांगड़ा चाय, कश्मीरी पश्मीना, सेलम फैब्रिक, बनारसी गुलाबी मीनाकारी, बस्तर ढोकरा इत्यादि हैं।
मुख्य विशेषताएं: कृषि, खाद्य और वस्त्र (हस्तशिल्प) क्षेत्रों में जीआई के साथ 15 उत्पादों के प्रमाणन की योजना।
2. जीएलपी सेल - नेशनल जीएलपी कंप्लायंस एंड मॉनिटरिंग अथॉरिटी (एनजीसीएमए)
नेशनल गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिसेस कंप्लायंस मॉनिटरिंग अथॉरिटी (एनजीसीएमए) ने 31 दिसंबर 2013 को गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिसेज (जीएलपी) सर्टिफिकेशन प्रोग्राम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भारतीय गुणवत्ता परिषद के साथ समझौता ज्ञापन किया। इस क्षेत्र में भारत के दायित्वों को पूरा करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा नेशनल जीएलपी कंप्लायंस एंड मॉनिटरिंग अथॉरिटी (एनजीसीएमए) की स्थापना की गई है। अधिक जानकारी के लिए आप विजिट कर सकते हैं : https://dst.gov.in/ngcma
पीएडीडी, एनजीसीएमए के जीएलपी कार्यक्रम में सहायता करता है। उन्हें परिचालनात्मक सहायता देने के अलावा, पीएडीडी विभाग ने राष्ट्रीय जीएलपी कार्यक्रम, का प्रभाव विश्लेषण किया है, जिसे डीएसटी के सचिव और एनजीसीएमए के प्रमुख ने सराहा है।
इसके अतिरिक्त भारत के जीएलपी कार्यक्रम के संचालन में तेजी लाने के लिए, सभी अनुप्रयोगों को डिजिटल रूप से प्राप्त करने और इसे एक चरण में संसाधित करने के लिए नया वेब पोर्टल डिजाइन और कार्यान्वित किया गया है जहां सिफारिशें तकनीकी समिति के सामने रखी जाती हैं।
त्रुटि मुक्त समन्वय के लिए, सभी हितधारकों के मुद्दों को हल करने के लिए नियमित जॉइंट कोआर्डिनेशन कमिटी की बैठक और टेक्निकल कमिटी की बैठक बुलाए जाते हैं। समय-समय पर परीक्षण सुविधाओं, सरकारी अनुसंधान संस्थानों और शिक्षाविदों के बीच संवेदीकरण कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित की जाती है
3. आरपीएएस – रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम्स (ड्रोन्स) के लिए स्वैच्छिक प्रमाणन योजना:
नागर विमानन महानिदेशालय के साथ
क्यूसीआई ने 17 सितंबर 2020 को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए), नागरिक उड्डयन मंत्रालय, जो की आरपीएएस की नियामक संस्था भी हैं, के द्वारा विधिवत अनुमोदित “रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (आरपीएएस)” के लिए प्रमाणन योजना शुरू की |
योजना को डीजीसीए आरपीएएस गाइडेंस मैनुअल और सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट्स (सीएआर) खंड 3 श्रृंखला X भाग I अंक I में निर्धारित तकनीकी आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया गया है। प्रमाणन सुनिश्चित करता है कि आरपीएएस, आरपीएएस प्रमाणन योजना के प्रमाणन मानदंड के अनुसार आवश्यकताओं का पालन करता है।
यह योजना किसी भी आरपीएएस के लिए डीजीसीए से लाइसेंस/अनुमोदन प्राप्त करने के लिए अनिवार्य शर्त है। इसमें उड़ान के दौरान सुरक्षा, संरक्षा और नो परमिशन और नो टेक ऑफ (एनपीएनटी) के अनुपालन का पता लगाने के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का परीक्षण शामिल है।
मुख्य विशेषताएं: नागरिक उपयोग के लिए ड्रोन के अनुमोदन के लिए विनियमन और आवश्यकताएं। आरपीएएस योजना को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए 8 प्रायोगिक परियोजना चल रहा हैं |
4.राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर):
क्यूसीआई को एनसीपीसीआर द्वारा भारतीय उद्योग और आपूर्ति श्रृंखला में बाल श्रम का पता लगाने के लिए सोशल ऑडिट एजेंसियों को सूचीबद्ध करने का काम सौंपा गया था। पैनल में शामिल ऑडिट एजेंसियां, तथ्यों को स्थापित करने और मूल्यांकन अध्ययनों के दौरान पाए गए किसी भी गैर-अनुपालन को कम करने के लिए, बाल श्रम के प्रवण क्षेत्रों, उद्योगों, परिसरों से संबंधित स्वतंत्र मूल्यांकन अध्ययन आयोजित करेंगी। यह देश में बाल अधिकारों के संरक्षण के संबंध में सभी स्थापित मानदंडों के कल्याण और अनुपालन को सुनिश्चित करेगा।
सरकार का अंग होने के नाते एनसीपीसीआर न केवल बाल अधिकारों के संरक्षण के संबंध में अनुपालन सुनिश्चित करके, बल्कि संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी भी सक्रिय रूप से करते हुए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इंडस्ट्री / कमोडिटी बोर्ड्स / एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल्स के पत्र
5.ग्लोबल टिम्बर फोरम - एसोसिएशन सर्वे फॉर नॉलेज:
लकड़ी आधारित उद्योग को समझने के लिए फ़ूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन (एफएओ) और वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (डब्ल्यूआरआई) के सहयोग से ग्लोबल टिम्बर फोरम (जीटीएफ) के लिए एक अध्ययन किया गया था। भारत में लकड़ी आधारित उद्योग में चुनौतियों और अंतराल को समझने के लिए लकड़ी आधारित उद्योग के 10 संघों के साथ गहन साक्षात्कार आयोजित किए गए।
6. इंटरनेशनल ट्रॉपिकल टिम्बर आर्गेनाइजेशन (आईटीटीओ), जापान:
जापान स्थित अंतर सरकारी एजेंसी आईटीटीओ ने फर्नीचर उद्योग पर केंद्रित पूरे भारत में धारणा सर्वेक्षण करने के लिए क्यूसीआई से संपर्क किया। इस गतिविधि में फ़र्नीचर निर्यात बढ़ाने के लिए मौजूदा पारिस्थितिकी तंत्र को समझने के लिए सरकारी और निजी संघों के साथ पारस्परिक विचार-विमर्श शामिल थी।
यह फर्नीचर उद्योग को समझने के लिए एक अध्ययन है, जो कि विशेष रूप से लकड़ी से बने फर्नीचर और जिन्हें लकड़ी के हस्तशिल्प फर्नीचर के रूप में वर्गीकृत किया गया है, उस पर आधारित हैं
संघों और समूहों जो कि लकड़ी के कच्चे माल से बने उत्पादों, जिसमें लॉग, सॉनवुड, मोल्डिंग, विनियर और प्लाईवुड शामिल हैं, विशेष रूप से विनिर्माण और खुदरा बिक्री, और बढ़ईगीरी (जॉइनरी) और इंजीनियर लकड़ी के उत्पाद शामिल हैं, संबद्ध हैं, पर ध्यान केंद्रित किया जाता है |
परिकल्पित परिणाम वितरण चैनलों में प्रचलित मुद्दों और कच्चे माल के आयातकों सहित इस उद्योग में प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करने वाले कारकों को संबोधित करेंगे जो व्यापारिक संबंधों पर एक बेहतर अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
7. कैपेसिटी बिल्डिंग कम सेन्सिटिज़ेशन (सीबी एंड एस) फॉर वोलंटरी सर्टिफिकेशन स्कीम फॉर मेडिसिनल प्लांट प्रोडूस (वीसीएसएमपीपी):
राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय ने वीसीएसएमपीपी योजना के विपणन और प्रचार के लिए क्यूसीआई को सीबीएंडएस परियोजना प्रदान की। अब तक हमने 40 पैकेज ऑफ प्रैक्टिस का संकलन किया है, 30 से अधिक संवेदीकरण कार्यशालाओं का आयोजन किया है और इसकी स्वीकृति पर विचार करने के लिए सार्क के सार्क कृषि सचिवालय को योजना प्रस्तुत की है।
इस योजना का 12 भाषाओं में अनुवाद किया गया था और यह क्यूसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है। 12 भाषाएँ असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, मिज़ो, उड़िया, पंजाबी, तमिल और तेलुगु हैं।
8. यूएनएफएसएस - इंडिया नेशनल प्लेटफार्म ऑन प्राइवेट सस्टेनेबिलिटी स्टैंडर्ड्स (आईएनपीपीएसएस):
मुख्य विशेषताएं: प्राइवेट सस्टेनेबिलिटी स्टैंडर्ड्स से उत्पन्न होने वाले मुद्दों से को सुलझाना, 9 अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ काम करना |
9. ग्लोबलजी.ए.पी के लिए राष्ट्रीय विवेचन:
10. सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स मैपिंग एंड एनालिसिस प्रोग्राम (एसडीजी एमएपी)
सार्वजनिक और निजी संगठनों को ध्यान में रखकर ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स मैपिंग एंड एनालिसिस प्रोग्राम (एसडीजी एमएपी)’ की शुरुआत की तथा स्टैंडर्ड (जिसका मुख्य फोकस स्वैच्छिक / निजी स्थिरता मानकों पर आधारित है) का विकास किया। स्टैंडर्ड के लिए संयुक्त राष्ट्र एसडीजी का मानचित्रण, एसडीजी और उन एसडीजी के तहत प्रासंगिक लक्ष्यों को कंपनी के लिए लागू विशिष्ट व्यावसायिक कार्यों में मैप किए गए एसडीजी को औचित्य प्रदान करता है।
इसका उद्देश्य प्राथमिक एसडीजी की पहचान पर भी ध्यान केंद्रित करना है जो मानक और कंपनी के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक हैं और जहां प्रभाव की सबसे बड़ी संभावना है। इसके बाद, प्रभाव को समझने और परिमाणित करने के लिए एक प्रभाव अध्ययन किया जाता है।
पीएडी विभाग ने एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट्स (ईपीसीएच) के वीआरआईकेएसएच (वृक्ष) स्टैण्डर्ड के एसडीजी मैपिंग और सॉलिडेरिडाड और आईटीए के ट्रिनिटिया फ्रेमवर्क को ऑन-ग्राउंड प्रभाव का अध्ययन करके पूरा कर लिया है। क्यूसीआई ने अवसर और सुधार के क्षेत्रों को सामने लाते हुए, वीआरआईकेएसएच (वृक्ष) स्टैण्डर्ड का प्रभाव अध्ययन भी प्रस्तुत किया।
11. बेंचमार्किंग इंडजीएपी (आईएनडीजीएपी) टू ग्लोबलजी.ए.पी.:
12. मसाला क्षेत्र में गुणवत्ता और सुरक्षा को मजबूत करने के लिए इंडजीएपी परियोजना का कार्यान्वयन:
13. ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने के साथ भारत में वोलंटरी कंस्यूमर आर्गेनाइजेशन (वीसीओ) का अध्ययन और क्षमता बढ़ाने के लिए उनकी बेंचमार्किंग।.
14. एफएओ सार्क गैप- सार्क के देशों में मानकों का विकास और अच्छे कृषि अभ्यास (जीएपी) कार्यान्वयन और प्रमाणन के लिए योजना:
संयुक्त राष्ट्र के द फ़ूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाईजेशन (एफएओ) ने सभी सार्क सदस्य देशों के लिए अच्छे कृषि पद्धति (गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस ) पर एक गुणवत्ता बुनियादी ढांचे के विकास के लिए क्यूसीआई को अपने तकनीकी भागीदार के रूप में पहचान की हैं । यह परियोजना "सार्क के देशों में मानकों के विकास और अच्छे कृषि पद्धति (गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस, जीएपी) के कार्यान्वयन और प्रमाणन के लिए योजना" के लिए थी। क्यूसीआई द्वारा डिजाइन और विकसित की गई योजना को संयुक्त राष्ट्र के एफएओ की सहायता से कुछ चुनिंदा सार्क देशों में स्वीकार और कार्यान्वित किया गया । सार्क एग्रीकल्चर सेण्टर (एसएसी) ने इस क्षेत्र में खाद्य स्वच्छता और सुरक्षा में सुधार के लिए इस पहल को आगे बढ़ाया है।
तकनीकी जीएपी मानक, प्रमाणन निकाय मानदंड, प्रमाणन प्रक्रिया और एक्रीडेशन/अनुमोदन मानदंड वाले संपूर्ण योजना दस्तावेज एफएओ द्वारा आयोजित समापन कार्यशाला में प्रस्तुत और अनुमोदित किए गए थे।
15. क्षेत्रीय प्रशिक्षण सैक प्रशिक्षण (सार्क जीएपी):
सार्क एग्रीकल्चर सेण्टर (एसएसी) ने सभी सार्क सदस्य देशों के लिए सार्क अच्छी कृषि पद्धति (सार्क गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस, जीएपी) पर प्रशिक्षण आयोजित करने के अनुरोध के साथ क्यूसीआई से संपर्क किया। एसएसी का उद्देश्य सार्क जीएपी को अनुकूलन या अपनाने के लिए प्रत्येक सदस्य देशों के कृषि मंत्रालय को शामिल करना है।
सदस्य देशों के साथ उपरोक्त की खोज के लिए 27-30 अगस्त, 2019 तक सार्क जीएपी पर एसएसी द्वारा क्षेत्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉ. एस के मल्होत्रा थे।
16.योग को लोकप्रिय बनाने और विपणन में योग पेशेवरों के मूल्यांकन और प्रमाणन के लिए योजना का प्रचार:
17. भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा योग को लोकप्रिय बनाने और विपणन में योग विद्यालय के प्रमाणन द्वारा गुणवत्ता हस्तक्षेप:
18.इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर द सेमि -एरिड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी):
डॉ. जैकलीन डी'आरोस ह्यूजेस, महानिदेशक और डॉ. रवि पी. सिंह, एसजी, क्यूसीआई द्वारा 'स्मार्ट फूड' पर प्रमाणन योजना के डिजाइन और विकास के लिए आईसीआरआईएसएटी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
19. यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी):
यूएनडीपी ने राष्ट्रीय जैव विविधता अधिनियम 2002 के अनुसार पहुंच और लाभ साझा करने की योजना के डिजाइन और विकास में उनकी मदद करने के लिए क्यूसीआई से संपर्क किया है।