क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूरे होने के अवसर पर पहली बार 20 जनवरी 2017 को अपना स्थापना दिवस मनाया। डॉ. आर.पी. सिंह, महासचिव ने स्वागत भाषण दिया और क्यूसीआई के लिए इतनी मजबूत नींव बनाने हेतु क्यूसीआई के सभी पूर्व अध्यक्षों और महासचिवों को धन्यवाद दिया।
क्यूसीआई के अध्यक्ष श्री आदिल जैनुलभाई ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि हमें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत है कि हमने कहां से शुरुआत की है, हमने क्या हासिल किया है और हम कहां जाने का इरादा रखते हैं क्योंकि क्यूसीआई की छत्रछाया में कई चीजें की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि 130 करोड़ की आबादी की बहुत अधिक आकांक्षाएं हैं, क्यूसीआई को उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए योगदान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि क्यूसीआई भारतीय नागरिकों के जीवन के साथ-साथ देश द्वारा निर्यात किए जाने वाले उत्पादों और सेवाओं को प्रभावित करने वाली वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करने की पूरी कोशिश कर रहा है। उन्होंने कुछ क्षेत्रों का हवाला देते हुए कहा कि कुछ क्षेत्रों में हमारी वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता विश्व स्तर की है। अन्य क्षेत्रों में हमें गुणवत्ता में सुधार करना होगा और जो हमारे लिए एक चुनौती है।
क्यूसीआई के पूर्व महासचिव डॉ. गिरधर जे. ज्ञानी ने अपने अनुभव साझा किए और कहा कि यह क्यूसीआई के लिए गर्व का क्षण था जब भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम दूसरे राष्ट्रीय गुणवत्ता सम्मेलन में मुख्य अतिथि थे, इससे क्यूसीआई को बहुत संबल मिला और क्यूसीआई के लिए सरकारी संगठनों के दरवाजे खुल गए। उन्होंने कहा कि अब सरकार क्यूसीआई को राष्ट्रीय गुणवत्ता सुविधा निकाय के रूप में देखती है।
क्यूसीआई के पूर्व अध्यक्ष श्री अरुण मैरा ने कहा कि क्यूसीआई का हिस्सा बनना सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि जापान द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उत्पादों की खराब गुणवत्ता के लिए जाना जाता था लेकिन 10 वर्षों के भीतर जापान खुद को एक गुणवत्ता वाले राष्ट्र में बदलने में सक्षम था। उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि इस देश के लोगों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद और सेवाएं प्रदान करने के लिए हमारे पास गुणवत्तापूर्ण प्रक्रियाएं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्यूसीआई भारत को एक गुणवत्तापूर्ण राष्ट्र बनाने के लिए 20 साल पहले स्थापित नोडल संगठन है।
क्यूसीआई के पूर्व अध्यक्ष और प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. आर. ए. माशेलकर इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि यहां आना बहुत ही सौभाग्य का और भावनात्मक क्षण है। परिवार को एक साथ लाने का विचार बहुत अच्छा है। क्यूसीआई की अद्भुत टैगलाइन है "गुणवत्ता के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना"। उन्होंने कहा कि यह पारिस्थितिकी तंत्र है जो सबसे ज्यादा मायने रखता है। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता प्रदान करना तब तक फायदेमंद नहीं है जब तक कि वह किफायती न हो। उन्होंने कहा कि वे खुद बेस्ट प्रैक्टिस में विश्वास नहीं रखते क्योंकि इसका मतलब किसी और की नकल करना है, लेकिन नेक्स्ट प्रैक्टिस में विश्वास रखते हैं। यह वह समय है जब हम नए क्षेत्रों को देखना शुरू कर रहे हैं। हमारे प्रधान मंत्री ने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया आदि जैसी पहलों में बड़ी चुनौती रखी है और इनमें से प्रत्येक में गुणवत्ता सबसे आगे है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत जल्द ही न केवल नवप्रवर्तन राष्ट्र के रूप में बल्कि गुणवत्ता राष्ट्र के रूप में जाना जाएगा।
इस अवसर पर क्यूसीआई को 10 वर्ष से अधिक की सेवा प्रदान करने वाले 13 कर्मचारियों को दीर्घ सेवा पुरस्कार भी प्रदान किए गए। कर्मचारियों द्वारा गाला प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया जिसे काफी सराहा गया।
क्यूसीआई प्रत्येक वर्ष "नवंबर" के महीने को 'गुणवत्ता माह' के रूप में मनाता है। इस अवधि के दौरान, गुणवत्ता, नवाचार और सर्वोत्तम प्रथाओं में ज्ञान सीखने और साझा करने को प्रवृत्त करने के लिए ऑनलाइन कार्यक्रमों की श्रृंखला की मेजबानी की जाती है, जिसमें काइज़न प्रतियोगिता, पोस्टर मेकिंग, स्लोगन राइटिंग, क्वालिटी सक्सेस स्टोरीज़, फोटोग्राफी, प्रश्नोत्तरी आदि ज्ञान, नवाचार और सर्वोत्तम प्रथाओं आदि जैसी प्रतियोगिताओं में जनता की भागीदारी आमंत्रित की जाती है।
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