श्री दीप कपूरिया हाई-टेक ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन हैं। इस समूह में द हाई-टेक गियर्स लिमिटेड, द हाई-टेक इंजीनियरिंग सिस्टम्स, द हाई-टेक ई-सॉफ्ट और द हाई-टेक रोबोटिक सिस्टम्ज़ शामिल हैं। हाई-टेक गियर्स की निर्माण सुविधाएं कनाडा और अमेरिका में भी मौजूद हैं। इस समूह का कामकाज उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला तक फैला हुआ है। मैन्युफैक्चरिंग में पॉवरट्रेन कॉम्पोनेंट, मोबाइल रोबोट (औद्योगिक और रक्षा क्षेत्र), एडीएएस (एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम) शामिल हैं। सेवाओं में हाई-एंड इंजीनियरिंग, एआई, सिस्टम डिजाइन आदि शामिल हैं।
श्री कपूरिया 'ग्लोबल इनोवेशन एंड टेक्निकल एलायंस (जी आई टी ए) के चेयरमैन भी हैं, जो एक सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) कंपनी है, जिसे प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टी डी बी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डी एस टी), भारत सरकार और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा संयुक्त रूप से बढ़ावा दिया गया है। पिछले दो दशकों में, श्री कपूरिया ने उद्योग, उद्योग संघों और सरकारी निकायों में प्रमुख पदों पर काम किया है। उन्हें विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टी ओ) की विभिन्न मंत्री स्तरीय और द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं में नीति निर्धारकों का सहयोग करने के लिए उद्योग का नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला है।
वे एक दशक से अधिक समय से बी-20 के "व्यापार और निवेश" टास्क फोर्स के सदस्य रहे हैं। वे हाल ही में बी-20 अर्जेंटीना में "डिजिटल इकोनोमी एंड इंडस्ट्री 4.0" पर टास्क फोर्स के सह-चेयरमैन रहे। वे मेक-इन-इंडिया, स्किल काउंसिल, एम एस एम ई मिनिस्ट्री टास्क फोर्स, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, नेशनल मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी पर उच्च स्तरीय समिति आदि सहित विभिन्न सरकारी समितियों में एक गैर-सरकारी सदस्य रहे हैं।
वर्तमान में श्री कपूरिया सी आई आई राष्ट्रीय डिजाइन समिति के चेयरमैन, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीति पर सीआईआई की नेशनल काउंसिल के सह-चेयरमैन और मध्य यूरोप पर सी आई आई की क्षेत्रीय समिति के अध्यक्ष हैं। श्री कपूरिया 'ऑटो कॉम्पोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ए सी एम ए)’ के पूर्व प्रेसिडेंट भी हैं। वे एसीएमए सेंटर ऑफ टेक्नोलॉजी (ए सी टी) सहित सेक्टोरल एसोसिएशन के लिए विभिन्न समितियों के अध्यक्ष भी रहे। श्री दीप कपूरिया ने मेयो कॉलेज, अजमेर से पढ़ाई की है और बीआईटीएस, पिलानी से इंजीनियरिंग में स्नातक किया है। वे अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र रहे हैं।
श्री माहेश्वरी ने रसायन विज्ञान और एमबीए में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है; उनके पास गुणवत्ता मूल्यांकन/प्रबंधन, औद्योगिक निर्माण के साथ-साथ मानकों, तकनीकी विनियमों, मान्यता और अनुकूलता मूल्यांकन में करीब तीन दशकों का अनुभव है। वे 1999 से भारत में एन ए बी एल और एक्रेडिटेशन सिस्टमों के शुरुआती वर्षों से एक्रेडिटेशन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं; वे अन्य एक्रेडिटेशन संस्थाओं के समकक्षों का मूल्यांकन करने के लिए एपीएसी समकक्ष मूल्यांकनकर्ता भी हैं।
श्री माहेश्वरी 2012 में एन ए बी सी बी में से जुड़े और उन्हें नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर सर्टिफिकेशन बॉडीज़ (एन ए बी सी बी) के इंस्पेक्शन बॉडी एक्रेडिटेशन प्रोग्राम के प्रबंधन की जिम्मेदारी मिली। बाद में, उन्हें भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) के निदेशक (प्रोजेक्ट नियोजन एवं कार्यान्वयन डिवीजन) के रूप में पदोन्नत किया गया, जिसमें वे क्यूसीआई द्वारा विशेष रूप से सरकार के लिए पूरे किये जा रहे विभिन्न प्रोजेक्ट की परिकल्पना, नियोजन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं।
उन्होंने पहले नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग ऐंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज (एन ए बी एल) और उसके बाद एक दशक से अधिक समय तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत (एन ए बी एल) के टेस्टिंग ऐंड मेडिकल लैबोरेटरी एक्रेडिटेशन प्रोग्राम के प्रबंधन का काम किया है। इससे पहले, उन्होंने करीब एक दशक तक स्पेशियलिटी केमिकल्स मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में काम किया था।
श्री प्रेमेन्द्र राज मेहता वास्तुकला परिषद्, भारत के पूर्व अध्यक्ष हैं। वास्तुकला परिषद्, वास्तुविद् अधिनियम, 1972 के प्रावधान के अधीन भारत सरकार द्वारा निर्मित एक सांविधिक निकाय है। इसे वास्तुविदों के पंजीकरण के अलावा, वास्तुविद् शिक्षा एवं अभ्यास के मानकों को विनियमित करने की जिम्मेदारी प्रदान की गई है। श्री मेहता वर्तमान में भारत सरकार के सभी के लिए आवास मिशन के प्रौद्योगिकी उप मिशन के सदस्य हैं।
श्री मेहता केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की (सीएसआईआर-सीबीआरआई) तथा ललित कला अकादमी के अनुसंधान परिषद के पूर्व सदस्य हैं और एआईसीटीई के अखिल भारतीय वास्तुकला, नगर योजना एवं अनुप्रयुक्त कला शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष हैं। श्री मेहता राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड, शिक्षा मंत्रालय की गेट समिति और भारत में उच्च शिक्षा के विकास से संबंधित कई अन्य मंचों के सदस्य रहे हैं। साथ ही वह सेवाओं पर वाणिज्य मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।
श्री मेहता ने विश्व व्यापार संगठन में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और पेशेवरों के लिए बाजार में पहुंच विषयक कई द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय वार्ताओं में भाग लिया है। इन्होंने विश्व व्यापार संगठन, जिनेवा में योग्यता की मान्यता विषय पर एक पेपर भी प्रस्तुत किया है। साथ ही वास्तुकला शिक्षा, उच्च शिक्षा, शहरी डिजाइन एवं शहरी प्रबंधन, सेवाओं में व्यापार पर सामान्य समझौते, पेशेवर व्यवहार आदि विषय पर कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार प्रस्तुत किए हैं।
व्यापक रूप से यात्रा करने वाले श्री मेहता अपने कार्य में 1979 से सक्रिय हैं और वे कनॉट प्लेस, नई दिल्ली के पुनर्विकास के वास्तुकार हैं। शहरी डिजाइन में स्नातकोत्तर की योग्यता रखने वाले श्री मेहता स्कूल ऑफ प्लानिंग ऐंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली के पूर्व छात्र हैं। वे दो दशकों से अधिक समय तक अल्मा मेटर में विजिटिंग प्रोफेसर रहे हैं। श्री मेहता, जयपुर फुट के लिए प्रसिद्ध भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (बीएमवीएसएस) के निदेशक भी हैं। विश्व में दो मिलियन से अधिक दिव्यांग व्यक्ति बीएमवीएसएस द्वारा निःशुल्क प्रदान किए जाने वाले सहायक उपकरणों के लाभार्थी हैं। श्री मेहता को दिव्यांगों की सेवा के लिए हेलेन केलर पुरस्कार प्रदान किया गया है।
डॉ वरिंदर एस कंवर ने सिविल इंजीनियरिंग में पीएच-डी, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में एम.ई., ग्रामीण विकास में स्नातकोत्तर डिप्लोमा और सिविल इंजीनियरिंग में बी.ई. किया है। उनके पास 27 से अधिक वर्ष का शोध, शिक्षण और प्रशासनिक अनुभव है। वे इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के फैलो और आई.ई.ई.ई. के वरिष्ठ सदस्य हैं तथा आईएसटीई, आईसीआई, आईजीएस एवं आईआरसी के आजीवन सदस्य हैं।
डॉ. कंवर एनआईटी हमीरपुर, गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक हमीरपुर, थापर यूनिवर्सिटी पटियाला और पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, जालंधर जैसे संस्थानों में शैक्षणिक और प्रशासनिक पदों पर रहे हैं। उन्होंने चिटकारा विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश (एन.ए.ए.सी. ए+) के संस्थापक रजिस्ट्रार के रूप में और बाद में, कुलपति के रूप में कार्य किया है। वे विश्वविद्यालय को संबद्धता प्रदान किए जाने और नियामक मानदंडों के अनुपालन का आकलन करने हेतु गठित विभिन्न निरीक्षण समितियों के सदस्य हैं। वे, विभिन्न विश्वविद्यालयों में सिविल इंजीनियरिंग के बोर्ड ऑफ स्टडीज के पैनल में भी हैं। उन्हें, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट, हिमाचल प्रदेश सरकार की राज्य स्तरीय कार्य समिति में गैर-सरकारी सदस्य के रूप में भी नामित किया गया है। उन्होंने एन.ए.ए.सी. पीयर असेसमेंट टीमों में सदस्य के साथ-साथ अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है। वे, अपशिष्ट न्यूनीकरण, उत्पन्न कचरे के पुन: उपयोग या पुनर्चक्रण जैसे समस्यामूलक क्षेत्रों में उपयुक्त स्थायी समाधान प्रदान करने के लिए औद्योगिक परामर्श और प्रौद्योगिकी विकास के कार्यों में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
डॉ कंवर ने 8 पुस्तकें तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 80 शोध-पत्र प्रकाशित किए हैं और सम्मेलनों में 17 शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने एम.ई. के 3 और पीएच-डी के 8 शोधार्थियों का पर्यवेक्षण किया है। उन्होंने 10 पेटेंट फ़ाइल किए, जिनमें से 3 को स्वीकृति भी प्राप्त हो चुकी है। उन्होंने सरकार द्वारा वित्त पोषित 4 करोड़ रुपये से अधिक की 7 अनुसंधान परियोजनाओं को पूरा किया है और 2 परियोजनाओं पर अभी भी वे कार्य कर रहे हैं। उनकी शोध-विशेषज्ञता के क्ष्रेत्रों में शामिल हैं- अनुसंधान क्षेत्रों में संरचनाओं की सुदृढ़ता की निगरानी, सतत पर्यावरण और औद्योगिक अपशिष्ट का उपयोग करके वैकल्पिक निर्माण सामग्री का विकास।
डॉ कंवर को हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2021 और 2019 में "पर्यावरण संरक्षण तथा सतत विकास को बढ़ावा देने में उत्कृष्टता" के लिए सम्मानित किया गया। वर्ष 2021 में भारत सरकार के माननीय एमएसएमई राज्य मंत्री द्वारा "वर्ष के सर्वश्रेष्ठ प्रोफेसर - सामाजिक पर्यावरण उद्यम" श्रेणी के तहत उन्हें ‘टाइम 2 लीप’ पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें इंडियन कंक्रीट इंस्टीट्यूट और अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड द्वारा "आउटस्टैंडिंग कंक्रीट टेक्नोलॉजिस्ट 2020" के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। डॉ कंवर को वर्ष 2018 में रोटरी क्लब ऑफ इंडिया से ‘राष्ट्रीय बिल्डर पुरस्कार’ भी प्राप्त हुआ है।
पद्म श्री प्रो. (डॉ.) महेश वर्मा , अध्यक्ष अस्पताल और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएच) के अध्यक्ष डॉ महेश वर्मा को उनके रोगी-अनुकूल दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है।
उन्हें दंत शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित किया गया है और वे पद्म श्री पुरस्कार विजेता, डॉ बी सी रॉय पुरस्कार विजेता और राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी पुरस्कार विजेता हैं।
वह वर्तमान में गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति और प्रोफेसर एमेरिटस मौलाना आजाद दंत चिकित्सा विज्ञान संस्थान हैं।
वह इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर डिसएबिलिटी एंड ओरल हेल्थ (iADH) इंडिया चैप्टर और इंडियन एकेडमी ऑफ रिस्टोरेटिव डेंटिस्ट्री (IARD) के अध्यक्ष हैं। वह इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर डेंटल रिसर्च (IADR) इंडिया डिवीजन और इंडियन सोसाइटी फॉर डेंटल रिसर्च के अध्यक्ष-चुनाव भी हैं।
डॉ. अतुल मोहन कोचर ने प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय से एमबीबीएस और एमडी (त्वचा विज्ञान) की डिग्री हासिल की है। उन्हें त्वचाविज्ञान, वेनेरोलॉजी और कुष्ठ रोग के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। वे नेशनल बोर्ड (डीएनबी- डर्मेटोलॉजी एंड वेनेरोलॉजी) के डिप्लोमेट, नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज के सदस्य और अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी के फेलो भी हैं।
उन्होंने 2003 से लोक नायक अस्पताल और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली के त्वचा विज्ञान और एसटीडी विभाग में प्रोफेसर और सलाहकार के रूप में काम किया है। इन वर्षों में उन्होंने विभिन्न संगठनात्मक पदों पर अर्थात आईएडीवीएल–दिल्ली राज्य शाखा के प्रेसिडेंट, सचिव, वाइस प्रेसिडेंट और कार्यकारी सदस्य के रूप में कार्य किया है।
उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आईएडीवीएल के विभिन्न सम्मेलनों को आयोजक सचिव के रूप में सफलतापूर्वक आयोजित किया है। उन्हें वर्ष 2015 के लिए प्रतिष्ठित सरदारी लाल मेमोरियल अवार्ड सहित राज्य और राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न पुरस्कार मिले हैं। वे सोसायटी फॉर पीडियाट्रिक डर्मेटोलॉजी के मौजूदा प्रेसिडेंट और साइंटिफिक कॉस्मेटोलॉजिकल सोसायटी के संस्थापक सचिव हैं। उनके नाम 70 से अधिक प्रकाशनों, 4 पुस्तकों, कई अध्यायों और मल्टीमीडिया से जुड़े हैं।
स्वास्थ्य सेवा में गुणवत्ता लाने के लिए प्रयासरत, एक सक्रिय चिकित्सक और 2016 से एन ए बी एच के साथ एक प्रिंसिपल एसेसर के रूप में जुड़े, डॉ. अतुल मोहन ने दिसंबर 2019 से भारत के नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल ऐंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स (एन ए बी एच) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला है। गुणवत्ता पर ध्यान देना, मरीज की सुरक्षा को बढ़ावा देना और 'गरीबों में सबसे गरीब' तक सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा को पहुंचाना उनके जीवन का मिशन है।
प्रो. एस. अय्यप्पन चांसलर, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंफाल अध्यक्ष, कर्नाटक विज्ञान और प्रौद्योगिकी अकादमी, बेंगलुरु, तथा 'एडजंक्ट प्रोफेसर, एनआईएएस, बेंगलुरु पूर्व सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई), भारत सरकार और महानिदेशक, आईसीएआर, नई दिल्ली, अध्यक्ष, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली |
प्रो. अय्यप्पन ने सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट, बैरकपुर में एक वैज्ञानिक के रूप में 1978-84 तक और वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रधान वैज्ञानिक के रूप में 1984-95 तक, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फेशवाटर 'एक्वाकल्चर, भुवनेश्वर में निदेशक के रूप में 1996-2000 तक,, केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, मुंबई में निदेशक के रूप में 2000-2002 तक, आईसीएआर, नई दिल्ली में उप महानिदेशक (मत्स्य पालन) के रूप में 2002-09 तक, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, हैदराबाद के संस्थापक मुख्य कार्यकारी के रूप में 2006-08 तक अपनी सेवाएं प्रदान कीं ।
साथ ही, इन्होंने कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) भारत सरकार में सचिव के पद पर तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली में महानिदेशक के रूप में 2010-16 तक कार्य किया। प्रो. अय्यप्पन कई एफएओ और सीजीआईएआर संस्थानों के गवर्निंग बोर्ड के सदस्य रहे हैं। इनके विशिष्ट अनुसंधान क्षेत्रों में मत्स्य पालन, फेश वाटर एक्वा कल्चर एंड एक्वेटिक माइकोबायलॉजी शामिल हैं । प्रो. अय्यप्पन, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (एनएएएस) और राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत (एनएएसआई) सहित कई राष्ट्रीय अकादमियों और समितियों के फेलो हैं।
15 विश्वविद्यालयों द्वारा डी. एससी, (मानद) और 30 से अधिक पुरस्कारों से इन्हें नवाजा गया है। प्रो. अय्यप्पन को 2013 में कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार और 2022 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समितियों की अध्यक्षता करते हुए प्रो. अय्यप्पन ने महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी देश का प्रतिनिधित्व किया है। इन्होंने 40 से अधिक देशों की यात्राएं की हैं, और विकासशील देशों में खाद्य, कृषि, शिक्षा और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में इनकी व्यापक अनुभव एवं रुचि है।
श्री एन वेंकटेस्वरन ने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) और बीआईटीएस पिलानी से गुणवत्ता प्रबंधन में मास्टर ऑफ साइंस (एम.एस.) की डिग्री हासिल की है।
श्री वेंकटेस्वरन को उद्योग में 9 वर्ष और एन ए बी एल में 16 वर्षों के साथ करीब 25 वर्षों तक कार्य करने का अनुभव है। श्री वेंकटेस्वरन आईएसओ डब्ल्यूजी 44, आईएसओ डब्यूजी 56, आईएसओ डब्यूजी 57, आईएसओ टीसी 212 आदि जैसी कई अंतरराष्ट्रीय समितियों के सदस्य हैं। वे एपीएसी क्षेत्र में एपीएससी पीटी कमिटी, तकनीकी समिति आदि के सदस्य और आईएलएसी क्षेत्र में आईएलएसी एक्रेडिटेशन कमिटी, व्यवस्था समिति, प्रयोगशाला समिति आदि के सदस्य भी हैं।
श्री वेंकटेस्वरन भारत में आईएसओ/आईईसी 17011, आईएसओ/आईईसी 17025, आईएसओ/आईईसी 17043 और आईएसओ/आईईसी 17034 मानकों के लिए एक प्रतिष्ठित फैकल्टी हैं और उन्होंने इस विषय पर कई प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं।
श्री वेंकटेस्वरन ने भारत में प्रयोगशाला सम्मेलन और पीटीपी/आरएमपी सम्मेलन की अवधारणा की शुरुआत की है। श्री वेंकटेश्वरन ने लीड एसेसर के रूप में कई एन ए बी एल ऑडिट किए हैं। वे एक एपीएसी मूल्यांकनकर्ता हैं और उन्होंने अन्य अर्थव्यवस्थाओं में एक्रेडिटेशन निकायों के मूल्यांकन में भी हिस्सा लिया है।
श्री वेंकटेस्वरन को 31 मई, 2019 से मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टींग ऐंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज (एन ए बी एल) नियुक्त किया गया है।
श्री विपिन सोंधी, चेयरपर्सन
श्री विपिन सोंधी को अशोक लीलैंड, जेसीबी इंडिया, श्रीराम होंडा, टाटा स्टील और टैक मेह प्रोडक्ट्स इंडिया जैसी विनिर्माण और इंजीनियरिंग आधारित बड़ी कंपनियोंमें तीन दशकों से अधिक... का... कार्य अनुभव है, . जिनमें से. दो दशकों . से. अधिक इन्होंने एमडी और सीईओ के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कीं ।
इनकी पहचान एक सफल नेतृत्व कर्ता,जोशपूर्ण, व्यावहारिक और कियाशील पेशेवर के रूप में है | श्री सॉंधी अशोक लीलैंड के ... एमडी और सीईओ थे ।[साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों ... के... निर्माण... के... लिए स्थापित अशोक लीलैंड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी स्विच मोबिलिटी के बोर्ड में निदेशक भी रहे ।
अशोक लीलैंड अंतरराष्ट्रीय स्तर 'का भारत में वाणिज्यि क वाहनों का दूसरा सबसे बड़ा विनिर्माता है | अशोक लीलैंड. से. पहले, श्री सोॉंधी . 13. वर्षों. से. अधिक . समय . तक जेसीबी भारत के 'एमडी और सीईओ रहे और जेसीबी की वैश्विक कार्य कारी टीम के सदस्य थे इन्होंने तीन स्थानों पर स्थापित पांच विश्वस्तरीय ... विनिर्माण संयंत्रों में जेसीबी व्यवसाय... को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया और निर्माण उपकरण उद्योग ... क्षेत्र .. में बाजार का ... नेतृत्व किया इनके... कार्यकाल में जेसीबी _. के मेड इन इंडिया उत्पादों को कुल 100. से अधिक देशों में नियति किया गया था |
श्री सॉंधी, जेसीबी के ग्लोबल ग्रुप 'एक्जीक्यूटिव के सदस्य भी थे, साथ ही उनके पास दक्षिण-पूर्व एशियाऔर प्रशांत क्षेत्र की जिम्मेदारी थी | एक्जीक्यूटिव के सदस्य भी थे, साथ ही उनके पास दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र की जिम्मेदारी थी | इन्हें गारत सरकार द्वारा दिसंबर 2015 में भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), भोपाल के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था |इन्होंने सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) के उपाध्यक्ष और ऑटोमोटिव स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (एएसडीसी) के उपाध्यक्ष के पद को सुशोभित किया है |
भारतीय उद्योगपरिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय परिषद् के सदस्य के साथ हीश्री सॉंधी सी आईआई के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी, नवाचार और अनुसंधान मिशन के अध्यक्ष तथा फ्यूचर मोबिलिटी पर सी आई आई की राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष भी हैं | श्री सॉंधी, भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट, अनंत सेंटरऔर सासाकावा इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशनके बोर्ड ऑफ ट्रस्टी जूस जुड़े हैं । इन्हें वर्ष 2000. में भारतीय परिसंघ(सीआईआई) यंग मैनेजर्स ट्रॉफी, 2011. में आर्थिक अध्ययन संस्थान द्वारा उद्योग रतन पुरस्कार, 2014 ..... में सी ई ओ इंडिया अवारड्स में सी ई ओ ऑफ . द..... ईयर अवार्ड् से सम्मानित किया गया । साथ ही, वर्ष 2017 में सेंटर फॉर 'एक्सीलेंस इन प्रोजेक्ट मैनेजमेंट (सीईपीएम) द्वारा मान द फैलोशिप प्रदान किया गया और 2018-19 में द इकोनॉमिक टाइम्स 'मोस्ट प्रॉमिसिंग बिजनेस लीडर ऑफ एशिया - कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट इंडस्ट्री'पुरस्कार से सम्मानित किया गया था |
डॉ. ए. राज, 2015 से भारतीय गुणवत्ता परिषद् (क्यूसीआई) में कार्यरत हैं और क्यूसीआई के जैड डिवीजन को सफलतापूर्वक स्थापित और संचालित करने के उपरांतवे अब एनबीक्यूपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।
पीएचडी और मास्टर डिग्री से अलंकृत उनका 28+ वर्षों का करियर रहा है। वह दिल्ली विश्वविद्यालय से वाणिज्य स्नातक भी हैं।
डॉ.राज एक उत्साही प्रशिक्षक हैं और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों प्लेटफार्मों और मंचों पर विभिन्न उद्योग क्षेत्रों के लिए क्षमता- निर्माण कार्यक्रमों/वेबिनारों सहित प्रशिक्षण और विकास गतिविधियों में गहन रूप से शामिल रहे हैं।
उन्होंने कई मंचों पर क्यूसीआई का प्रतिनिधित्व किया है जैसे एएसक्यू (टेक्सास, यूएसए), एआरएसओ (दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया, केन्या, बुर्किना फासो, कैमरून), आईएक्यू/एसएक्यू शंघाई (चीन), ईओक्यू (स्लोवेनिया और पुर्तगाल), आईसीक्यूईएम (स्पेन) सीएसक्यू (कनाडा) इत्यादि। राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने कई मंचों और पैनल चर्चाओं में क्यूसीआई के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत और प्रदर्शित किया है, जिसमें कॉन्क्लेव, निवेश शिखर सम्मेलन, विभिन्न राज्य सरकारों के उद्योग आयोजनों के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की पहल के तहत भारतीय बैंकर्स की क्षमता -निर्माण शामिल है। प्रतिष्ठित राष्ट्रीय उद्योग मंडलों और संघों के साथ-साथ बड़े उद्यमों और ओईएम की आपूर्ति श्रृंखला की बैठकों मेंउन्होंने राज्य सरकारों, आरबीआई और वित्तीय संस्थानों, सरकारी ई-मार्केटप्लेस आदि के साथ निरंतर जुड़ाव के माध्यम से एमएसएमई इकाइयों के लिए विभिन्न लाभों को संस्थागत रूप देने में सहायता की है।
पूर्व में, डॉ. राज एक प्रमुख तकनीकी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय प्रमुख और एक शैक्षिक फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक भी रह चुके हैं। डॉ. राज ने अंतर्राष्ट्रीय आतिथ्य श्रृंखलाओं के साथ प्रबंधकीय क्षमताओं में प्रशिक्षण और सेवाएं भी दी हैं।
श्री सुब्रतो घोष, प्रमुख निदेशक
श्री सुब्रतो घोष, मैन्युफैक्चरिंग, बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ), एनबीएफसी, बैंकिंग एवं 'एचआर कंसल्टिंग में 30 से अधिक वर्षों के उत्कृष्ट वैश्विक कार्य अनुभव के साथ तकनीक की बेहतर समझ रखने वाले एक कुशल बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन लीडर हैं। एक सक्षमकर्ता के रूप में डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हुए महत्वपूर्ण व्यावसायिक लाभ और इकाई-व्यापी परिवर्तन कार्यक्रम चलाने का इनका ट्रैक रिकॉर्ड है। लीन, सिक्स सिग्मा और प्रोसेस ऑटोमेशन (आरपीए, एआई और एमएल सहित) में इनकी विशेषज्ञता है। श्री घोष, जमीनी स्तर पर सकारात्मक प्रभाव के साथ समस्या निवारण और समाधान में उत्कृष्ट कौशल के धनी हैं।
इन्हें, सामरिक व्यापार समाधान तैयार करने से लेकर रणनीतिक व्यापार समाधान तक नवाचार को बढ़ावा देना, संगठनात्मक परिवर्तन को क्रियान्वित करना, वित्तीय वितरण और शासन, विविधता नेटवर्क और सामाजिक कल्याण में योगदान करने के लिए टीमों का निर्माण और विकास करने का गहरा अनुभव है। इन्होंने वैश्विक स्तर पर भौगोलिक क्षेत्रों (यूके, अफ्रीका, यूरोप और एपीएसी) में कई व्यवसायों / कार्यों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है |
श्री सुब्रतो, प्रबंधन योग्यता के साथ एक औद्योगिक इंजीनियर तथा परिवर्तन विषयक विशिष्ट वकक्ता हैं। साथ ही, श्री घोष आईआईटी और आईआईएम जैसे शीर्ष इंजीनियरिंग एवं प्रबंधन संस्थानों में अतिथि वक्ता के रूप में विविध कार्यकमों में शामिल होते रहे हैं । विविधता का एक दृढ़ चैंपियन - विकलांग और मानसिक स्वास्थ्य वाले व्यक्तियों के लिए रीच, बार्कलेज डायवर्सिटी एंड इनक्लूजन प्रोग्राम हेतु एपीएसी चेयर | कार्य अनुभव : न हेड - पीपीआईडी, क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया - जुलाई, 2022 से अब तक डायरेक्टर एंड हेड प्रोसेस एक्सीलेंस, बार्कलेज बैंक (बार्कलेज ग्लोबल सर्विस सेंटर) क्वालिटी लीडर, जीई मनी इंडिया ० ब्लैक बेल्ट, जीई कैपिटल इंटल. सर्विसेज न 'एचआर कंसल्टेंट एंड प्राफिट सेंटर हेड, एबीसी कंसल्टेंट ब औद्योगिक अभियंता और परियोजना प्रबंधक, जीईईपी इंडस्ट्रीज एंड एलपीएस
डॉ. मनीष पांडे क्यूसीआई में पीएडी डिवीजन के प्रमुख हैं। वे निजी स्थिरता मानकों पर भारतीय राष्ट्रीय प्लैटफ़ॉर्म, वोलंटरी सर्टिफिकेशन स्कीम फ़ॉर मेडिकल प्लांट प्रोड्यूस (वीसीएसएमपीपी), राष्ट्रीय जीएलपी सेल (राष्ट्रीय जीएलपी अनुपालन निगरानी प्राधिकरण एनजीसीएमए के साथ) आदि के साथ-साथ क्यूसीआई के तहत प्रबंधित कई अन्य स्वैच्छिक योजना जैसे प्रमुख सरकारी और अंतर-सरकारी प्रयासों का नेतृत्व करते हैं।
वे योगा पेशेवर प्रमाणन योजना के अंतर्राष्ट्रीय कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार थे। अनुकूलता मूल्यांकन के क्षेत्र में 20 से अधिक वर्षों के प्रगतिशील अनुभव के साथ, वे विभिन्न निजी, स्वैच्छिक और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के डिजाइन और कार्यान्वयन के साथ-साथ कई उद्योग संघों, सरकारी और अंतर-सरकारी संस्थाओं के साथ तकनीकी सहयोग, सहायता प्रदान करने और हितधारक प्रबंधन लिए भी जिम्मेदार हैं।
डॉ. पांडे भारत सरकार और उसकी सहयोगी संस्थाओं द्वारा संचालित विभिन्न तकनीकी समितियों और योजनाओं के कार्यकारी समूहों के विशेषज्ञ सदस्य हैं। उन्होंने एनपीओपी (भारत), एनओपी (यूएसडीए - यूएसए), ईयू के अनुसार जैविक जैसे कृषि आधारित मानकों; गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिसेस (जीएपी), राउंड टेबल ऑन रिस्पोंसिबल सॉय ऐंड फोरेस्ट्री स्टैंडर्ड जैसे कि एफएससी और पीईएफसी के लिए कई ऑडिट किए हैं। अतीत में, उन्होंने वर्ल्डवाइड फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ़) फ़ॉर नेचर – भारत, एसजीएस – एक स्विस आधारित एमएनसी, के अलावा अंकटाड, एफ़एओ और सार्क के साथ स्वतंत्र सलाहकार के रूप में काम किया है। उन्होंने वन अनुसंधान संस्थान से वानिकी में पीएच.डी. और वानिकी में स्नातकोत्तर के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया है।
डॉ. रामानंद एन. शुक्ला, व्यावसायिक उत्कृष्टता, गुणवत्ता, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण, व्यावसायिक स्वास्थ्य एवंसुरक्षा, प्रशिक्षणइत्यादिक्षेत्रों मेंएक कुशल विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते है।इनके पास,इन क्षेत्रों में दो दशकों से भीअधिक का नेतृत्वअनुभव है।इन्होने उद्योग जगत के विभिन्न सेक्टरों (रक्षा क्षेत्र सहित) के लिए मूल्यांकन ढांचेंको विक्सित करने एवंपरिवर्तनकारी मूल्यांकन में भी निपुणता हासिल की है।
डॉ. शुक्ला, गुणवत्ता प्रबंधन के लिए एक “प्रमाणित परीक्षक”, आईएमसी रामकृष्ण बजाज राष्ट्रीय गुणवत्ता पुरस्कारएवंखाद्य सुरक्षा के लिए सीआईआई पुरस्कार के लिए “वरिष्ठ निर्धारक” होनेके साथ हीकई अन्य समितियों एवं पुरस्कारों केलिए बनी निर्णायक समितियों में सदस्य भी हैं, जैसे कि- खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता पर विशेषज्ञ समूह, सीआईआई-एफएसीई इत्यादि।
डॉ. शुक्लानेपर्यावरण प्रबंधन में डॉक्टरेट और मार्केटिंग में एमबीए की उपाधि प्राप्त की है। वह ISO 9001, ISO 22000के लिए प्रमाणित लीड ऑडिटर और प्रमाणित सिक्स सिग्मा ब्लैक बेल्टहैं। डॉ. शुक्लाISO/IEC 17021औरISO/IEC 17029केलिए एक मूल्यांकनकर्ताभी हैं, साथ ही वेISO 9001लीड ऑडिटर कोर्स के लिए ट्रेनरऔर खाद्य सुरक्षा अधिकारीयों के वैधानिक प्रशिक्षण के लिए FSSAI मास्टर ट्रेनरभी रह चुके हैं।
डॉ. शुक्लाने3000 से अधिक पेशेवरों को गुणवत्ता, व्यावसायिक उत्कृष्टता, ज़ेड, खाद्य सुरक्षा, ऑडिटऔर मूल्यांकन पर प्रशिक्षित किया है| इनकी दिलचस्पी नीति निर्धारण, प्रोजेक्टक्रियांवयनऔर प्रभाव मूल्यांकन में भीहै।
श्री आलोक जैन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से औद्योगिक इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर के साथ मैकेनिकल इंजीनियर हैं।
गुणवत्ता नियंत्रण, गुणवत्ता प्रबंधन, टीक्यूएम, प्रशिक्षण और क्षमता विकास, अंतर्राष्ट्रीय संबंध आदि में 25 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ, उन्हें एपीएलएसी (अब एशिया पैसिफिक एक्रेडिटेशन कोऑपरेशन), एएफआरएसी (अफ्रीकन एक्रेडिटेशन कोऑपरेशन), एआरएसी (अरब एक्रेडिटेशन कोऑपरेशन), एसएडीसीए (साउथ अफ्रीकन डेवलपमेंट कम्युनिटी कोऑपरेशन इन एक्रेडिटेशन), आईएएफ़ (इंटरनेशनल एक्रेडिटेशन फोरम) और आईएलएसी (इंटरनेशनल एक्रेडिटेशन कोऑपरेशन) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ एक मूल्यांकनकर्ता के तौर पर पैनल में शामिल किया गया है।)
उन्होंने फिलीपींस, कोरिया, थाईलैंड, अमेरिका, मलेशिया, न्यूजीलैंड, जापान, चीन, रूस, किर्गिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, अल्जीरिया, बोत्सवाना, मॉरीशस आदि के एक्रेडिटेशन निकायों का मूल्यांकन किया है। मान्यता (एक्रेडिटेशन) के क्षेत्र में उनकी सक्षमता के दायरे में आईएसओ/आईईसी 17011, आईएसओ/आईईसी 17025, आईएसओ/आईईसी 17020, आईएसओ/आईईसी 17021, आईएसओ/आईईसी 17043, आईएसओ/आईईसी 17065 आदि शामिल हैं।
अपने कौशल प्रदर्शनों की सूची में, उन्होंने इथियोपिया, सऊदी अरब साम्राज्य, कतर, ईरान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार में आईएसओ 15189 सहित मान्यता के विभिन्न मानकों पर विश्व बैंक, यूनिडो, पीटीबी आदि की सहायता से विभिन्न क्षमता विकास और प्रचार गतिविधियों का निर्देशन किया है। इसके अलावा, उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय बैठकों में एक्रेडिटेशन के क्षेत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
प्रशिक्षण और क्षमता (टीसीबी) प्रकोष्ठ के प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी लेने से पहले, श्री जैन ने ऑटोमोटिव क्षेत्र में काफी समय बिताने के बाद करीब 20 वर्षों तक क्यूसीआई बोर्ड 'एन ए बी एल' के साथ काम किया है, जहां वे संपूर्ण गुणवत्ता प्रबंधन (टीक्यूएम), सिक्स सिग्मा, गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली, उत्पाद प्रमाणन आदि से संबंधित कार्यों को पूरा करने के लिए उत्तरदायी थे।